पाकिस्तान को भारत दशकों से सीमा पार आतंकवाद का मुख्य प्रायोजक मानता आया उसे अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की उदारता
सेंट्रल डेस्क
जिस पाकिस्तान को भारत दशकों से सीमा पार आतंकवाद का मुख्य प्रायोजक मानता आया है, उसे अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की उदारता मिल रही है। हाल ही में IMF द्वारा पाकिस्तान को 1.02 अरब डॉलर की दूसरी किस्त जारी करना और बांग्लादेश पर भी कुछ ऐसी ही मेहरबानी दिखाना, नई दिल्ली के लिए स्वाभाविक रूप से चिंता का विषय है। यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हो रहा है जब पाकिस्तान का आगामी बजट विचाराधीन है और भारत के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। यह स्थिति भारत को अपनी विदेश नीति की प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करती है।
प्राथमिकताएं क्या हैं और उनका भारत के राष्ट्रीय हितों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखते हुए, अपने हितों की रक्षा के लिए एक मजबूत और संतुलित विदेश नीति का अनुसरण करना होगा। उसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज को और अधिक प्रभावी ढंग से उठाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वैश्विक समुदाय इस खतरे की गंभीरता को समझे। यह समय भारत के लिए आत्मनिरीक्षण और एक सुविचारित रणनीति बनाने का है ताकि वह क्षेत्रीय चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सके और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर सके। भारत को अब यह समझना होगा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में उसे अपनी विदेश नीति को और अधिक दृढ़ता और दूरदर्शिता के साथ आगे बढ़ाना होगा।

