बिहार

सवर्ण पालिका (मीडिया, न्‍यायालय और सवर्ण नेता) की साजिश के शिकार होकर लालू यादव जेल जा चुके

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
Listen to this article

संपादक -राम दुलार यादव

1997-98 की बात है, सामाजिक न्‍याय की आवाज बुलंद करने और सवर्णों की सामाजिक और राजनीतिक सत्‍ता को चुनौती देने के कारण लालू यादव के खिलाफ साजिश और मुकदमा लादा गया था।

अब मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार सदन में आते हैं और खबर उड़ेल देते हैं।  जब भी विपक्ष हंगामा करता है, तब मुख्‍यमंत्री की प्रतिक्रिया खबर बन जाती है। गुरुवार को दोनों सदनों में मुख्‍यमंत्री का बयान खबर बन गया। विधान सभा की कार्यवाही चल रही थी। इसी दौरान एक तारांकित प्रश्‍न को लेकर सुदय यादव पूरक प्रश्‍न पूछ रहे थे। इसके लिए वे मोबाईल का सहारा ले रहे थे। इसी बीच मुख्‍यमंत्री खड़े हो गये और सदन में मोबाईल के इस्‍तेमाल पर आपत्ति जतायी।

मुख्‍यमंत्री ने आसन की ओर मुखातिब होकर कहा कि सदन में मोबाईल लाने की मनाही है। लोग कैसे लेकर आ जाते हैं। मोबाईल लेकर आने वाले को बाहर किया जाए।

हालांकि तत्‍काल इस संबंध में आसन ने कोई नियमन नहीं दिया। इसके बाद सीएम बैठ गये और फिर प्रश्‍नोत्‍तर शुरू हुआ। इस बीच मुख्‍यमंत्री ने प्रेस दीर्घा की ओर इशारा करते हुए पत्रकारों द्वारा भी मोबाईल इस्‍तेमाल की ओर संकेत किया।

हालांकि बगल में बैठे उपमुख्‍यमंत्री विजय सिन्‍हा ने बताया कि पत्रकारों को खबर भेजनी होती है। इसलिए वे लोग मोबाईल का इस्‍तेमाल करते हैं।
उधर विधान परिषद में भी शुरुआती आधा घंटा हंगामे में गुजर गया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही राजद के अब्‍दुलबारी सिद्दीकी ने भागलपुर में एक केंद्रीय मंत्री के भांजे की हत्‍या का मामला उठाया और इस पर सरकार से वक्‍तव्‍य की मांग करने लगे। इसके साथ ही अपराध के अनेक आंकड़े भी गिनाये।

इस बीच जदयू के नीरज कुमार और संजय सिंह भी लालू राज के आंकड़े लेकर हमलावर हुए। संसदीय कार्यमंत्री विजय चौधरी ने मामले के निपटारे की कोशिश करे लगे, लेकिन विपक्ष का हंगामा थमा नहीं।

फिर विपक्ष वेल में पहुंच गया। सरकार विरोधी नारे लगाए। इस बीच मुख्‍यमंत्री बोलने के लिए खड़े हुए। विपक्ष भी अपनी जगह पर चला गया। मुख्‍यमंत्री ने कहा कि सरकार मामले की जांच करवाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। इसके साथ ही मुख्‍यमंत्री ने राबड़ी देवी की ओर इशारा करते हुए लालू यादव-राबड़ी देवी सरकार पर आरोप लगाने लगे।

इसके बाद हंगामा फिर शुरू हो गया। इस बार मंत्री संतोष सिंह ने नया प्रसंग छेड़ दिया। उन्‍होंने कहा कि 2007 में हमारे पुत्र का अपहरण हो गया था, तब राजद के एक बड़े नेता फिरौती मांगने आये थे। इस प्रसंग में सीएम नीतीश कुमार की पहल से पुत्र की बरामदगी हुई। इस बीच अशोक चौधरी भी कूद पड़े। उनका गला फंसा हुआ था, लेकिन फरियाने के मूड में थे।

हंगामा थमता नहीं देख सभापति अवधेश नारायण सिंह ने विपक्षी सदस्‍यों को बाहर जाने का निर्देश दिया। लेकिन समय नहीं बताया कि यह निष्‍कासन कब तक का है।

बिहार के संसदीय इतिहास में पहली घटना है, जब आसन ने अपनी सीट पर सरकार का विरोध करने वाले सदस्‍यों को सदन से बाहर जाने का निर्देश दिया।
लेकिन इस निर्देश के साथ नया विवाद खड़ा हो गया और नारेबाजी करने लगे।

इस शब्‍द से आसन आहत हो गया। जले पर नमक रगड़ने का काम विजय चौधरी ने किया। उन्‍होंने कहा कि चमचारिगी शब्‍द का इस्‍तेमाल आसन के लिए किया गया है तो बहुत दुर्भाग्‍यपूर्ण है। पूरी घटना कार्यवाही की रिकार्ड दर्ज है। यह देखा जाना चाहिए कि इस शब्‍द का इस्‍तेमाल किसके लिए किया गया है। इसी प्रसंग के दौरान सभापति ने स्‍पष्‍ट किया कि यह निष्‍कासन भोजनावकाश के पहले का तक है। यहां घटना नयी मोड़ लेती है।

सभापति ने निष्‍कासन के समय की घोषणा की ही थी कि उसके दो-तीन सेकेंड बाद पूरा विपक्ष सदन में प्रवेश किया और अपनी जगह पर बैठ गया।
आसन ने कहा कि हमने निष्‍कासन भोजनावकाश तक के लिए किया है और आप लोग तुरंत आ गये। इस पर अब्‍दुलबारी सिद्दीकी ने कहा कि निष्‍कासन अवधि के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

जानकारी होती तो आते ही नहीं।अब समझिए विधान परिषद की बनावट को। सदन और नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी के चैंबर के बीच की दूरी सिर्फ दो फीट के गलियारे की है। इस गलियारे से सदन में जाने के तीन दरवाजे हैं।

एक दरवाजा सीधे गलियारे में जुड़ा है। इससे सत्‍ता पक्ष के लोग आते-जाते हैं। नेता प्रतिपक्ष और सदन का दूसरा दरवाजा आमने-सामने हैं। तीसरा दरवाजा सदन की शुरुआत में ही है।

इन्‍हीं दो दरवाजों से विपक्षी सदस्‍य आते- जाते हैं। नेता प्रतिपक्ष का चैंबर और सदन में आने-जाने का समय 3 से 7 सेकेंड लगता है।
आसन के निर्देश के बाद विपक्षी सदस्‍य नेता प्रतिपक्ष के चैंबर में पहुंचे। इस बीच विजय चौधरी चमचागिरी पर न्‍याय की राह तलाशते रहे। इस अवधि में सदन से बाहर गये सदस्‍य वापस आने का निर्णय लेते हैं। राबड़ी देवी के चैंबर से उठकर गलियारे में आने के लिए आगे बढ़ते हैं। इसी बीच आसन का नियमन आता है कि निष्‍कासन भोजनावकाश तक है।

हाउस की कार्यवाही इंटरनल टीवी पर कुछ सेकंड के बाद सुनायी पड़ती है। इस कारण टीवी पर सुनायी पड़ने से पहले ही वे लोग सदन में पहुंचने लगे थे। यह देखकर आसन भी हतप्रभ था कि हमारे नियमन के बाद सदन में आ गये।
इस मामले को संभालते हुए अब्‍दुलबारी सिद्दीकी ने कहा कि समय की जानकारी नहीं थी। वहीं सभापति ने कहा कि हम चार बार इस आसन पर रहे हैं, आज तक किसी ने पक्षपात का आरोप नहीं लगाया है।  सिद्दीकी ने विजय चौधरी की शैली से ज्‍यादा तेजी से बात घुमायी और कहा कि आसन को लेकर हमारे मन में पूरा सम्‍मान है। विपक्ष ऐसा कुछ सोच भी नहीं सकता है।

उन्‍होंने कहा कि एक मंत्री कुदक-कुदक कर चिल्‍ला रहे थे, अब तो उनकी आवाज भी नहीं निकल रही है। इस पर अशोक चौधरी और  सिद्दीकी में बहस भी हुई। इसके बाद अब्‍दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि विपक्ष की किसी बात से आसन की भावना आहत हुई हो तो हम खेद व्‍यक्‍त करते हैं। इसके बाद मामले का पटाक्षेप हो गया फिर कार्यवाही सुचारू रूप से चलने लगी।