कौशल ही भविष्य की मुद्रा है जितना आप निवेश करेंगे उतना ही कीमती बनेंगे :जयंत चौधरी
बिहटा /आईआईटी पटना का 11वां दीक्षांत समारोह संस्थान के सभागार में भव्य और उल्लासपूर्ण माहौल में आयोजित की गई। इस महत्वपूर्ण अवसर पर मुख्य अतिथि केन्द्रीय कौशल विकास उधमिता- सह शिक्षा राज्यमंत्री जयंत चौधरी, अतिविशिष्ट अतिथि बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार , एवं अध्यक्षता आईआईटी के निदेशक प्रो टीएन सिंह ने की मुख्य अतिथि केन्द्रीय कौशल विकास उधमिता- सह -शिक्षा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार जयंत चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि कौशल ही भविष्य की मुद्रा हैं, जितना आप इसमें निवेश करेंगे उतना ही कीमती बनेंगे। उन्होंने आईआईटी संस्थानों की वैश्विक पहचान, शैक्षिक उत्कृष्टता और नवाचार के प्रति उनके समर्पण की सराहना की।
उन्होंने शिक्षा के परिवर्तनकारी प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा, “आपकी शिक्षा ने आपके सपनों को आकार दिया है, और अब आप दुनिया का सामना करने के लिए ऊर्जा और उत्साह से भरे हुए तैयार हैं। हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहें, क्योंकि जैसे एक पतंग तभी ऊँचाई तक पहुँच सकती है, जब वह अपनी डोरी से जुड़ी रहती है।
अध्यक्षीय संबोधन में संस्थान के निदेशक प्रो. टी. एन. सिंह ने कहा कि “आप सभी जीवन के एक नए और रोमांचक चरण में कदम रख रहे हैं, जो चुनौतियों, अवसरों और जिम्मेदारियों से भरा हुआ है। याद रखें, आप सभी एक अद्वितीय बैच के छात्र हैं। आपने 2020 में आईआईटी पटना में प्रवेश किया, जो एक ऐसा साल था जब वैश्विक महामारी ‘कोरोना’ ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया था। इस कठिन दौर ने आपको सहानुभूति, सहयोग और लचीलापन सिखाया है, और आप ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांत के साथ इस संकट से बाहर निकले हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आप यहाँ प्राप्त ज्ञान और कौशल से दुनिया पर सकारात्मक और स्थायी प्रभाव डालेंगे।”
अतिविशिष्ट अतिथि शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि “कभी भी किसी भी परिस्थिति में आशा का दामन न छोड़ें और हमेशा उत्कृष्टता की ओर प्रयास करें। जीवन के उतार-चढ़ावों को स्वीकार करें, क्योंकि यही हमें बेहतर इंसान बनाने में मदद करते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रेरणा हमें आत्मप्रेरित और केंद्रित बनाए रखने में सहायक होती है।
दिक्षांत समारोह में आईआईटी पटना के 713 छात्र -छात्राए को विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रम जैसे बीटेक, एमटेक, एमएससी, और पीएचडी डिग्रियां प्रदान की गई। जिसमें 581 छात्र एवं 132 छात्राएं को प्रदान की गई उनके परिवारों के लिए एक गौरवपूर्ण एवं उत्साहपूर्ण क्षण रहा है छात्र -छात्राए ने अपनी शैक्षणिक उपलब्धियां को शानदार उत्सव मनाया।
इस विशेष अवसर पर कुछ विशिष्ट छात्रों को शैक्षिक उत्कृष्टता और संस्थान की गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान के लिए चार स्वर्ण पदक और 21 रजत पदक प्रदान किए गए। इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाले शोध प्रोजेक्ट्स को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 19 छात्रों को प्रोफिशिएंसी पुरस्कार भी प्रदान किए गए।
भारत के राष्ट्रपति स्वर्ण पदक – निश्चल जैन, बीटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)निदेशक स्वर्ण पदक – रोहित कुमार, बीटेक (कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग)अध्यक्ष स्वर्ण पदक – अम्बिकेश द्विवेदी, एमटेक (जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग)आर्यभट्ट स्वर्ण पदक – बिनायक राउत, एमएससी (भौतिकी)श्री केदारनाथ दास मेमोरियल पुरस्कार (रजत पदक):संस्थान रजत पदक:बीटेक:
• उज्जवल आनंद (सिविल इंजीनियरिंग)
• अभिनव सिंह (सिविल इंजीनियरिंग)
• अनय विवेक कर्निक (कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग)
• मिहिर साहू (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग)
• निश्चल जैन (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)
• हार्दिक हरिगोपाल तिवारी (मेटालर्जिकल एंड मटेरियल्स इंजीनियरिंग)
एमएससी:
• सुभास कमिल्या (रसायन विज्ञान)
• पौषाली दास (गणित)
• बिनायक राउत (भौतिकी)
एमटेक:
• कुमारी सुरभि (सिविल इंजीनियरिंग)
• शशांक कुमार (सिविल इंजीनियरिंग)
• अम्बिकेश द्विवेदी (जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग)
• राघवेंद्र रमेश हैबट्टी (कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग)
• दीपक नारायण के एस (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस)
• प्रणव मिश्रा (वीएलएसआई)
• गौरव कुमार (सिविल एंड एन्वायर्नमेंटल इंजीनियरिंग)
• निकुंज पंसारी (मैन्युफैक्चरिंग एंड कंट्रोल)
• एथेना सरकार (मेटालर्जिकल एंड मटेरियल्स इंजीनियरिंग)
• कोडीदासु पुर्ना राम साई उषा प्रणव (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)
• सौरभ शर्मा (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)
प्रोफेसर दिव्येंदु मुखर्जी पुरस्कार:
• प्रथम स्थान: साई नंदन पाणिग्रही, बीटेक (केमिकल इंजीनियरिंग)
• द्वितीय स्थान: सिद्धार्थ सोमनाथ मेरुकर, बीटेक (केमिकल इंजीनियरिंग)
इस वर्ष, आईआईटी पटना ने अपने सबसे बड़े बैच का दीक्षांत समारोह आयोजित किया, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से छात्र एक साथ इस महत्वपूर्ण अवसर का जश्न मनाने के लिए उपस्थित हुए। यह आयोजन उल्लास और उत्सव से भरपूर रहा, जहाँ स्नातकों ने गर्व से अपनी डिग्रियाँ प्राप्त की।