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वंदे मातरम् की क्रोनोलॉजी समझिए

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
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एक झलक 

???? 1875 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी ने इस गीत के पहले दो अंतरे लिखे, जो आज हमारा राष्ट्रगीत है

???? 1882 में 7 साल बाद बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी का आनंदमठ उपन्यास प्रकाशित हुआ और इसमें यही गीत प्रकाशित किया और उसमें 4 अंतरे जोड़ दिए गए

???? 1896 में कांग्रेस के अधिवेशन में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर जी ने यह गीत गाया

???? 1905 में बंगाल के विभाजन के खिलाफ आंदोलन के समय वंदे मातरम् जनता की एकता की गुहार बनकर गली-गली से उठा और रवीन्द्रनाथ टैगोर जी जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी गीत को खुद गाते हुए बंगाल की सड़कों पर उतरे

???? छात्रों से किसान तक, व्यापारी से लेकर वकीलों तक हर किसी ने ये गीत गाया। इस गीत को सुनकर ब्रिटिश हुकूमत कांपती थी

???? हमारे देशवासी इस गीत को सुनकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सत्य और अहिंसा के नैतिक हथियारों को लेकर शहीद होने की तैयारी करते थे। यह गीत मातृभूमि के लिए मर मिटने की भावना को जगाता है

✅ ये है- इस गीत की शक्ति
✅ ये है- इस गीत का देश से जुड़ाव

???? 1930 के समय जब देश में सांप्रदायिक राजनीति उभरी, तब ये गीत विवादित होने लगा। 1937 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस, कलकत्ता में होने वाले कांग्रेस के अधिवेशन का आयोजन कर रहे थे

• मोदी जी ने सदन में एक चिट्ठी का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने बताया कि 20 अक्टूबर को नेहरू जी ने नेता जी को चिट्ठी लिखी थी। लेकिन 17 अक्टूबर को लिखी गई चिट्ठी का जिक्र प्रधानमंत्री ने नहीं किया, जो नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को लिखी थी।

???? नेता जी ने लिखा था- “My dear Jawahar, reference Vande Mataram. We shall have a talk in Kolkata and also discuss the question in the Working Committee, if you bring it up there. I have written to Dr. Tagore to discuss this matter with you when you visit Shantiniketan. Please do not forget to have a talk with him when you visit Shantiniketan.”

• ये चिट्ठी 17 अक्टूबर को लिखी गई थी और 20 अक्टूबर को नेहरू जी ने इसका जवाब दिया था।

???? PM मोदी ने इस जवाब की एक लाइन यहां सुनाई, लेकिन बाकी में नेहरू जी ने लिखा था- “There is no doubt, that the present outcry against Vande Mataram is to a large extent a manufactured one by the Communalist. Whatever we do, we cannot pander to Communalist feelings. But to meet real grievances where they exist, I have decided now to reach Kolkata on the 25th morning. This will give me time to see Dr. Tagore as well as other friends.”

• फिर नेहरू जी कलकत्ता जाते हैं और गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर जी से मिलते हैं और उसके अगले दिन गुरुदेव जी एक चिट्ठी लिखते हैं, जिसमें वो कहते हैं-

???? ‘जो दो अंतरे हमेशा गाए जाते थे, उनका महत्व इतना गहरा था कि उस हिस्से को कविता के शेष हिस्से तथा पुस्तक के उन अंशों से अलग करने में उन्हें कोई कठिनाई नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में हमेशा से वही दो अंतरे ही गाए जाते थे और उनको गाते हुए कुर्बानी देने वाले सैकड़ों शहीदों के सम्मान के लिए उन्हें ऐसे ही गाना उचित रहेगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि “बाद में जोड़े गए अंतरों का सांप्रदायिक मायना निकाला जा सकता है और उस समय के माहौल में उनका इस्तेमाल अनुचित होगा।”

???? इसके बाद, 28 अक्टूबर 1937 में कांग्रेस की कार्यसमिति ने अपने प्रस्ताव में ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रगीत घोषित किया। उन्हीं दो अंतरों पर कार्यसमिति की बैठक में महात्मा गांधी जी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी, पंडित नेहरू जी, आचार्य नरेंद्र देव जी, सरदार पटेल जी, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी ने सहमति जताई

???? भारत की आजादी के बाद जब इसी गीत के इन्हीं दो अंतरों को 1950 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी ने संविधान समिति में भारत का राष्ट्रगीत घोषित किया, अंबेडकर जी समेत तब भी लगभग यही महापुरुष वहां मौजूद थे।

????BJP के साथियों के नेता श्यामाप्रसाद मुखर्जी भी मौजूद थे। वहां भी किसी ने कोई आपत्ति जाहिर नहीं की

???? आज हम अपने राष्ट्रगीत पर बहस कर रहे हैं, लेकिन हमारा राष्ट्र गान भी कविता का ही एक अंश है और इन दोनों- राष्ट्रगीत और राष्ट्र गान- के अंश को चुनने में सबसे बड़ी भूमिका गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी की थी

???? ‘वंदे मातरम्’ के उस स्वरूप पर सवाल उठाना, जिसे संविधान सभा ने स्वीकार किया, न सिर्फ उन महापुरुषों का अपमान करना है, जिन्होंने अपने महान विवेक से यह निर्णय लिया, मगर यह एक संविधान विरोधी मंशा को भी उजागर करता है।