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उत्साह, कला और संस्कृति के संग सम्पन्न हुआ दो दिवसीय विद्यापति कला उत्सव-2025

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मधुबनी/महाकवि विद्यापति की स्मृति एवं मिथिला की सांस्कृतिक चेतना को समर्पित दो दिवसीय विद्यापति कला उत्सव–2025 का समापन आज मिथिला चित्रकला संस्थान, मधुबनी में उल्लासपूर्ण माहौल में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक मंगलाचरण नृत्य से हुई, जिसमें संस्थान की छात्राएँ सुश्री बिन्दी एवं सुश्री मेधा झा ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी।

विद्यापति के साहित्यिक योगदान पर परिचर्चा

परिचर्चा की कड़ी में डाॅ. विभा कुमारी ने कहा कि महाकवि विद्यापति स्त्री-मन, लोकजीवन और समाज की भावनात्मक संरचना को गहराई से समझते थे। उन्होंने 15वीं शताब्दी में ही सती प्रथा जैसे सामाजिक मुद्दों पर रचनाएँ लिखकर अपनी दूरदर्शिता प्रदर्शित की।
वहीं डाॅ. कैलाश कुमार मिश्र ने कहा कि कवि कोकिल विद्यापति ने लगभग सात राजाओं के साथ कार्य किया तथा उनके पिता श्री गणपति ठाकुर से प्रेरित होकर पदावलियों की परंपरा आगे बढ़ाई। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास में सती प्रथा उन्मूलन का श्रेय जहाँ राजा राममोहन राय को दिया जाता है, वहीं सत्य यह है कि विद्यापति ने 14वीं शताब्दी के अंत में ही राजा गद्द सिंह की रानी विश्वास देवी को सती होने से रोककर इस कुप्रथा पर प्रभावी प्रहार किया था।

नाटक, गीत-संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बांधा समा

कार्यक्रम के दौरान सागर सिंह एवं उनकी टीम द्वारा “अभिनव जयदेव श्री विद्यापति” नाटक का मंचन किया गया, जिसे दर्शकों का अत्यधिक प्रेम और सराहना प्राप्त हुई।
दूरदर्शन दिल्ली से संबद्ध एवं इंडियन आइडल/सुर संग्राम जैसी प्रतिष्ठित टीवी शोज़ की कलाकार श्रीमती सौम्या मिश्रा ने अपनी मधुर आवाज़ से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।वहीं प्रख्यात गायक श्री रामकृष्ण झा की प्रस्तुति भी कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण रही।इसके साथ ही संस्थान के छात्रों द्वारा विद्यापति की कृतियों पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी गईं।

विद्यापति पर आधारित 18.11.2025 को आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को समारोह में सम्मानित किया गया एवं सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।

IMG 20251120 WA0016 उत्साह, कला और संस्कृति के संग सम्पन्न हुआ दो दिवसीय विद्यापति कला उत्सव-2025मौके पर मिथिला चित्रकला संस्थान के उपनिदेशक श्री नीतीश कुमार ने उत्सव की सफलता पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि विद्यापति कला उत्सव न केवल मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का माध्यम है, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का भी सशक्त प्रयास है। हमारे छात्रों, कलाकारों और स्थानीय जनता ने जिस उत्साह से इसमें भाग लिया, वह हमारे लिए प्रेरणादायी है। आने वाले वर्षों में हम इस उत्सव को और व्यापक रूप देने की दिशा में काम करेंगे।

कार्यक्रम के सफल संचालन में आचार्य पद्मश्री दुलारी देवी, पद्मश्री शिवन पासवान, डाॅ. रानी झा, श्री संजय कुमार जायसवाल, श्री प्रतीक प्रभाकर, लेखा पदाधिकारी श्री सुरेन्द्र प्रसाद यादव, सहायक श्री विकास कुमार मंडल, रूपा कुमारी तथा डाटा एंट्री ऑपरेटर मो. सरफराज, अर्जुन कुमार, मो. अरमान रज़ा, नीतीश कुमार, विकास कुमार गुप्ता एवं श्री अभिषेक कुमार की भूमिका सराहनीय रही।
समारोह का समापन डाॅ. रानी झा द्वारा सभी अतिथियों, वक्ताओं एवं कलाकारों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए किया गया।