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पारू 97 विधानसभा क्षेत्र से राजद के नवनिर्वाचित विधायक शंकर प्रसाद का प्रेरणा कोचिंग संस्थान में स्वागत और सम्मान- समारोह

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न्यूज डेस्क 

मुजफ्फरपुर के पारू 97 विधानसभा क्षेत्र से राजद के नवनिर्वाचित विधायक शंकर प्रसाद का प्रेरणा कोचिंग संस्थान में शनिवार को स्वागत और सम्मान किया गया। शंकर प्रसाद यादव की जीत ने साबित किया है कि जनता के बीच रह कर जनता के मुद्दों पर दिन रात संघर्ष करने वाले नेता को देर से ही सही लेकिन सफलता जरूर मिलती है।
शंकर प्रसाद यादव पहली बार 2015 में राजद के टिकट पर चुनाव लड़ें थे। 60 हजार से अधिक वोट लाकर मामूली अंतर से हार गये थे। लेकिन 2020 में कुछ तिकड़मी नेताओं ने पारू की सीट कांग्रेस के खाते में डाल दी। लेकिन जनता ने उस फैसले को वोट की चोट से नकार दिया। शंकर प्रसाद यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 63 हजार से अधिक वोट हासिल कर पूरे बिहार में कीर्तिमान बनाया। लेकिन 14 हजार वोटों के अंतर से चुनाव हार गये।

IMG 20251117 WA0002 पारू 97 विधानसभा क्षेत्र से राजद के नवनिर्वाचित विधायक शंकर प्रसाद का प्रेरणा कोचिंग संस्थान में स्वागत और सम्मान- समारोहतिकड़म से टिकट झटकने वाले कांग्रेसी उम्मीदवार को मात्र 13 हजार वोट मिला। पार्टी ने उनकी लोकप्रियता का सम्मान करते हुए 2025 के चुनाव में उन्हें उम्मीदवार बनाया। इस बार त्रिकोणीय मुकाबले में उन्होंने 95272 वोट हासिल किया। उन्हें 28827 वोटों के अंतर से निर्णायक जीत मिली। उन्होंने एनडीए से रालोमो प्रत्याशी मदन चौधरी और भाजपा के निवर्तमान विधायक निर्दलीय उम्मीदवार अशोक सिंह को परास्त किया।
पारू क्षेत्र से शंकर प्रसाद यादव के चाचा मिथिलेश यादव 1995,2000 और 2005 (फरवरी में) में विधायक चुने गये थे। लेकिन 2005 के अक्टूबर में वह सीट भाजपा के कब्जे में चली गयी थी। तब भाजपा को मुजफ्फरपुर जिला में पहली और अकेली जीत पारू क्षेत्र में मिली थी। 2025 के चुनाव में जब मुजफ्फरपुर की 11 में से 10 सीटें एनडीए के खाते में चली गयी तब शंकर प्रसाद यादव ने पारू में राजद का झंडा बुलंद किया।
शंकर प्रसाद यादव की जीत राजद के एक जमीनी नेता और पारू क्षेत्र के जुझारू दलितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों और पसमांदा बिरादरी की जीत है।
स्वागत सह सम्मान समारोह की अध्यक्षता विश्वनाथ यादव उर्फ लालटून यादव ने की। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार शंभु सिंह, वेदप्रकाश, संजीव चंदन, सन्नी यादव समेत कई बहुजन बुद्धिजीवी मौजूद थे।