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तीन बिन्दुओं से स्पष्ट है कि कानून को अपना काम नहीं करने दिया गया यानि यह “जंगलराज” है : अब्दुल बारी सिद्दीकी का प्रेस कॉन्फ्रेंस

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पटना /(A) दुलारचंद यादव की हत्या बिहार में एनडीए के शासनमें सरकार का प्रायोजित एवं समर्थित जंगलराज की
कडी का एक जिता जागता उदाहरण है। हत्या ,लूट,
अपहरण, डकै ती, Organized अपराध की घटनाओं
में विगत कुछ वर्षों से वृद्धि हुई है जिसको
नजरअंदाज करते हुए आज भी देश के प्रधानमंत्री एवं
गृहमंत्री तथा एन०डी०ए० के सभी नेता हमारी
सामाजिक न्याय की सरकार को जंगलराज बोलते
थकते नहीं है।
आप जानते है कि जंगलराज का मतलब वह होता है कि जब
कानून अपना काम नहीं करता है। निम्नलिखित उदाहरण से
आपको स्पष्ट होगा कि दुलारचंद यादव की हत्या में कानून ने
अपना काम नहीं किया या उसे काम नहीं करने ददया गया।
१. कानून यह कहता है कि अगर कोई अपराध होता है
,खासकर संज्ञेय अपराध तो पुलिस को स्वयं एफ०आई०आर०
दर्ज कर कारिवाई प्रारंभ करनी चाहिए और यथाशीघ्र अर्थात
तुरंत घटनास्थल पर जाना चाहिए। इस मामले में पुलिस
जानबूझकर इतना देर से की गयी कि तबतक सबूत नष्ट
कर दिए गये, जिसे इकट्ठा किया जा सकता था, वह नष्ट
हो गया या इसे नष्ट होने दिया गया।
२. खुद ग्रामीण S.P. और SDPO ने अर्धकृत तौर पर
बयान दिया था कि मामले में “अभी तक किसी प्रकार की
एफ०आई०आर० दर्ज नहीं किया गया है क् क्यों कि अभी तक किसी प्रकार का Complaint या आवेदन नहीं दिया गया है”जबकि कानूनन इस घटना के तुरंत बाद एफआईआर दर्ज
किए जाने थे और सबूत इकटठा किया जाना था।
३. इस हत्या के बाद वरीय पुलिस अधीक्षक का जो प्रेस
विज्ञप्ति निकला, उसमें दुलारचंद यादव को अपराधी बताते
हुए उनके विरुद्ध दर्ज मुकदमों की गिनती तो बतायी गयी
लेकिन आपराधिक वारदात की लंबी फेहरिस्त वाले अनंत
सिंह को विधायक बोलकर पहले ही क् लीन चिट दे दी
गयी।

उपरोक्त तीन बिन्दुओं से स्पष्ट है कि कानून को अपना
काम नहीं करने दिया गया यानि यह “जंगलराज” है।

(B) अब चुनाव आयोग, जो अब केंद्र सरकार की एजेंसी
बन चुका है, इनका भी Sponsored जंगलराज
बिहार में जारी है। कथित आदर्श आचार संहिता
लागू होने के बाद अनंत सिंह का 40 गाड़ियों का
काफिला हथियार लेकर चल रहे थे और चुनाव
आयोग सोया रहा।
मोकामा विधानसभा क्षेत्र ही क्यों , संपूर्ण बिहार में नीतीश
सरकार ने चुन-चुनकर जाती विशेष और विशेष राजनीतिक
दल से निष्ठा रखने वाले अधिकारियों और एन०डी०ए० के
विधायकों, सांसदों एवं संभावित उम्मीदवारों सेअनुशंसा प्राप्त
कर पोस्टिंग करता रहा और चुनाव आयोग सोया रहा। इस
तरह मोदी और नीतीश की जोड़ी द्वारा बिहार में प्रायोजित
जंगलराज चल रहा है। इनके पुलिस और प्रशासन द्वारा
महागठबंधन के कायिकतािओं एवं समथिकों तथा जाती एवं
धर्म के आधार पर झूठे अपराध के मुकदमों में फंसाने का
Reign of Terror चल रहा है वहीं “Reign of Terror”जो कभी फ्रांस में सरकार द्वारा चला करता था।

i. अब आईए इनके बहुप्रचारित कानून का राज स्थापित
करने के दावे की पोल खोलने की। इस पर मेरा सीधा
आरोप यह है कि वर्ष 2004 से 2025 की तुलना में वर्ष
2024 में संज्ञेय अपराध (Cognizable Crime) में साढे
तीन गुणा की वृद्धि हुई है। जहां वर्ष 2004 में संज्ञेय
अपराध 1,15,216 (एक लाख पंद्रह हजार ) था वहीं वर्ष 2024 में बढ़कर साढे तीन लाख से भी ज्यादा हो गया
(3,52,000) है। वो भी यह आंकडे साढे तीन गुना तब
है जब कई अपराध की घटनाओं की प्राथमिकी ही दर्ज
नहीं की जाती है (NCRB के आंकडे मैं संलग्न
कर रहा हूं।

पुलिस और प्रशासन में ट्रांसफर और पोस्टिंग का उधोग
मुख्यमंत्री आवास से संचालित हो रहा है। वहीं पुलिस
अपराध करवाती भी है और सत्ता संरक्षित अपराधियों
को संरक्षण भी देती है। इसका मतलब स्पष्ट है कि
अपराध का यह उधोग सरकारी तंत्र से संचालित हो रहा
है। इस धंधे में कौन-कौन शामिल है यह आपलोग भी जानते
ही होंगे। दिलचस्प बात यह है कि इस जंगलराज को
स्वयं प्रधानमंत्री स्विकार कर रहे हैं कि बिहार में पचीस
(25) वर्षों से जंगलराज है उसमें पॉच (05) साल हमारा
और बीस (20) साल एनडीए सरकार का, अत: हमें
किसी प्रकार का कोई सार्टिफिकेट देने की बात नहीं है।
जंगलराज की एक काल्पनिक तस्वीर पैदा करके भाजपा
और एनडीए सिर्फ वोट लेने की राजनीति करते है। इन्हें
बिहार के विकास से कोई लेना देना नहीं है। इसका भी हिसाब हम दे रहे हैं।
1. बिहार को विशेष राज्य के दर्जा की मांग कहां गयी। अब तो लगभग एक दशक से यही डबल इंजन की
सरकार ही है तो अब प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के मुंह
में दही जम गया है, नाखून और बाल कटाकर यह
भेज रहे थे तो क्या इनका नाखून और बाल बढ़ना बंद हो गया है? अब ये क्यों नहीं भेजते हैं?
२. गृहमंत्री अमित शाह तो स्वयं चुनावी सभाओं में कई
एक बार मिल चुके है कि बिहार में विकास उधोगीकरण
संभव नही है क्योंकि यहॉ जमीन ही उपलब्ऊ नहीं है
हम सिर्फ मजदूर सप्लाई करें और फैक्ट्री गुजरात में लगे।
३. अब चुनाव आ गया है तो अब ये फिऐ वादों और
घोषणाओं का झुनझुना पकडायेंगे। बिहार के लोगों को
उल्लू बनाएंगे और लौट जाएंगे। मैं यह आरोप यू ही
नहीं लगा रहा हूं , मैं उदाहरण भी देता हूं।
बिहार में चुनाव से पहले नवंबर 2024 में इन्होंने
दो (02) SEZ (Special Economic Zone) विशेष
आर्थिक जोन की घोर्षणा भी की गयी लेकिन आंकडे
यह बताते हैं कि आजतक यह कागजों में ही है।
न तो यहॉ कोई Investment आया और न ही कोई
प्रभावी उधोग लगा। खबू तो यह भी है कि SEZ का
सारा पैसा तो गुजरात जा रहा है, तो पैसा बिहार में
लगेगा कहॉ। यह तो प्रधानमंत्री बताये की अब तक
एक वर्ष पूर्ण होने को है और अभी तक SEZ को
कागज पर ही क्यों छोड दिया गया है?
(C) हम मांग करते है कि चुनाव आयोग अपना
संवैधानिक कर्तव्य निभाये और आदर्श आचार संहिता
को सर जमीन पर उतारे। बेलगाम हुए अपराध पर
रोक लगना चाहिए और एनडीए के उम्मीदवार और
नेता खुलेआम आदर्श आचार संहिता की धज्जियां
उडा रहे है, उनपर कठोर कार्रवाई हो। दुलारचंद यादव
की हत्या की निष्पक्ष एवं त्वरित गति से जांच हो
तथा स्पघबै ट्रायल चलाकर दोर्षी को सजा दिलाई जाये।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजद के प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल, उपाध्यक्ष डॉ तनवीर हसन, राष्ट्रीय महासचिव बीनु यादव, प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन एवं सारीका पासवान उपस्थित थे।

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