SSB ने भ्रामक व तथ्यहीन समाचार प्रकाशित कराने तथा एसएसबी एवं पुलिस के ऑपरेशन को बदनाम करने में संलिप्त तीन तथाकथित पत्रकार पर लगाए गंभीर आरोप
मधुबनी /SSB ने कुछ समाचारों से समाज को गुमराह करने की साजिश, तथाकथित कुछ मीडिया पर उठे गंभीर सवाल
मधुबनी जिला में नशा कारोबार के विरुद्ध एसएसबी एवं थाना पुलिस द्वारा की गई संयुक्त कार्रवाइयों पर पिछले कुछ दिनों से कुछ समाचार पत्रों में भ्रामक, पक्षपातपूर्ण और तथ्यहीन समाचार प्रकाशित किए जा रहे हैं।
वास्तविकता
दिनांक 17 अगस्त 2025 को हरिने गांव में संयुक्त छापेमारी कर भारी मात्रा में नशीली दवाएँ बरामद की गईं तथा कुख्यात नशा कारोबारी दीपू कुमार झा (निवासी – हरिने गांव) को रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार आरोपी लंबे समय से नशे के अवैध कारोबार में लिप्त है। उल्लेखनीय है कि आरोपी तथाकथित मीडिया कर्मी मोहन झा का रिश्तेदार है।
भ्रामक खबरें
1. दैनिक जागरण (मधुबनी संस्करण, पृष्ठ 5) – तथाकथित पत्रकार मनोज (निवासी – हरुसवार गांव, प्रखंड हारलखी) द्वारा प्रकाशित खबर।
2. हिंदुस्तान (मधुबनी संस्करण, पृष्ठ 4) – तथाकथित पत्रकार अब्दुल माजिद (निवासी – उमगांव, प्रखंड हारलखी) द्वारा प्रकाशित कराई गई खबर।
3. दैनिक भास्कर (मधुबनी संस्करण, पृष्ठ 4) – आरोपी के पक्ष में तथाकथित पत्रकार मोहन झा (निवासी – हरिने, प्रखंड हारलखी) द्वारा पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट।
तीनों तथाकथित पत्रकार हारलखी क्षेत्र की पत्रकारिता करते हैं और इन पर पक्षपातपूर्ण व तथ्यहीन रिपोर्टिंग करने के गंभीर आरोप हैं।
खतरा
इन तथाकथित मीडिया कर्मियों द्वारा अपराधियों को बचाने हेतु तथ्यहीन खबरें प्रकाशित करना न केवल कानून व्यवस्था को कमजोर करता है, बल्कि पत्रकारिता की गरिमा और लोकतंत्र दोनों के लिए गंभीर खतरा है। स्थानीय लोगों का भी आरोप है कि ये तथाकथित पत्रकार सीमा क्षेत्र में अवैध गतिविधियों को लेकर दलाली करते हैं तथा प्रशासन पर दबाव बनाने का प्रयास करते हैं।
महत्वपूर्ण सवाल
यहाँ यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि एसएसबी की इस वाहिनी द्वारा पिछले कई दिनों में कई बड़े ऑपरेशन सफलतापूर्वक अंजाम दिए गए हैं, फिर भी कभी किसी को व्यक्तिगत परेशानी नहीं हुई। किंतु कल के ऑपरेशन के बाद ही अचानक समस्या क्यों खड़ी की गई?
यह तथ्य इस ओर संकेत करता है कि कुछ तथाकथित पत्रकार किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए बल की छवि को धूमिल करने और अपराधियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। यह कृत्य न केवल मीडिया की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है बल्कि समाज को गुमराह करने का भी काम करता है।
अपील
नशे का कारोबार हमारी युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है। ऐसे समय में पुलिस और एसएसबी की सख्त कार्रवाई की सराहना होनी चाहिए, न कि अपराधियों को बचाने के लिए भ्रामक समाचार प्रकाशित किए जाएं। समाज को सतर्क रहकर ऐसी गतिविधियों की निंदा करनी चाहिए।
अंतिम घोषणा
उपर्युक्त तथाकथित मीडिया कर्मियों द्वारा एसएसबी के विरुद्ध प्रकाशित खबरों का एसएसबी खंडन करता है। और झूठी, भ्रामक खबर प्रकाशित करने वालों पर, संबंधित अखबार कठोर कारवाई कर एक उदाहरण पेश करे।