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पीएम थक चुके है जल्द होंगे रिटायर लाल किले से भाषण पर कांग्रेस का हमला: जयराम रमेश

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दिल्ली/प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से आज लगातार 12वीं बार देश को संबोधित किया, इसके साथ ही वहां तिरंगा फहराया, पीएम ने अपने भाषण कई घोषणाएं तो कई वादे भी किए हैं।इसके साथ ही आरएसएस का जिक्र भी किया है, इसको लेकर अब विपक्ष ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है। तो वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम के भाषण को बासा बताया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आज थके हुए लगे, जल्द ही वे रिटायर भी होंगे।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा, ” विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और “सबका साथ, सबका विकास” जैसे वही दोहराए गए नारे साल-दर-साल सुने जा रहे हैं, लेकिन इनका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।

ये भी कहा हा मेड-इन-इंडिया सेमीकंडक्टर चिप का वादा अनगिनत बार किया जा चुका है । हर बार धूमधाम से, हर बार बिना परिणाम के, यह वादा दरअसल आज एक बड़े झूठ के साथ किया गया -जो पीएम मोदी की पहचान बन चुका है। क्योंकि भारत का पहला सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स 1980 के दशक की शुरुआत में ही चंडीगढ़ में स्थापित हो चुका था।

जयराम रमेश ने कहा कि किसानों की रक्षा की बात अब खोखली और अविश्वसनीय लगती है, क्योंकि उन्होंने तीन काले कृषि कानून थोपने की कोशिश की थी।आज भी एमएसपी की कानूनी गारंटी, लागत पर 50% लाभ के साथ एमएसपी तय करने, या कर्ज़ माफी का कोई ठोस ऐलान नहीं है।रोजगार सृजन पर भी केवल दिखावटी बातें की गई हैं, ठोस और विश्वसनीय रोडमैप का अभाव है।

चुनाव आयोग जैसी बुनियादी सुविधाओं का पतन- जयराम
कांग्रेस नेता ने कहा प्रधानमंत्री ने एकता, समावेशन और लोकतंत्र पर लंबा भाषण दिया, जबकि वे स्वयं चुनाव आयोग जैसी हमारी बुनियादी संवैधानिक संस्थाओं के पतन के जिम्मेदार और योजनाकार रहे हैं। विपक्ष के नेता की तरफ से चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर उठाए गए बुनियादी सवालों का जवाब उन्होंने अब तक नहीं दिया है। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के जरिए लाखों मतदाताओं को वंचित किया जा रहा है।राज्यों को सशक्त बनाने के उनके दावे तब खोखले लगते हैं, जब केंद्र लगातार संघीय ढांचे को कमजोर कर रहा है, और विपक्ष के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों को हाशिये पर धकेलने या उन्हें गिराने में लगा है। स्वतंत्रता दिवस दूरदर्शिता, स्पष्टवादिता और प्रेरणा का क्षण होना चाहिए, लेकिन आज का संबोधन आत्म-प्रशंसा और चुनिंदा कहानियों का नीरस मिश्रण था. जिसमें देश की गहरी आर्थिक तंगी, बेरोजगारी संकट और तेजी से बढ़ती आर्थिक असमानता का कोई ईमानदार ज़िक्र नहीं था।

प्रधानमंत्री जल्द होंगे रिटायर?
जयराम ने कहा कि आज प्रधानमंत्री के भाषण का सबसे चिंताजनक पहलू लाल किले की प्राचीर से आरएसएस का नाम लेना था – जो एक संवैधानिक, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का खुला उल्लंघन है।यह अगले महीने उनके 75वें जन्मदिन से पहले संगठन को खुश करने की एक हताश कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है। 4 जून 2024 की घटनाओं के बाद से निर्णायक रूप से कमजोर पड़ चुके प्रधानमंत्री अब पूरी तरह मोहन भागवत की कृपा पर निर्भर हैं, ताकि सितंबर के बाद उनका कार्यकाल का विस्तार हो सके। स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसर का व्यक्तिगत और संगठनात्मक लाभ के लिए राजनीतिकरण हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए बेहद हानिकारक है. आज प्रधानमंत्री थके हुए लगे, जल्द ही वे रिटायर भी होंगे।