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जिलाधिकारी आनंद शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर पंचायत विकास सूचकांक 2.0 प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

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मधुबनी जिला पदाधिकारी आनंद शर्मा ने पंचायत विकास सूचकांक 2.0 (PDI 2.0) के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर औपचारिक शुभारंभ किया।जिलाधिकारी ने अपने संबोधन में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि पंचायत विकास सूचकांक 2.0 (PDI 2.0) भारत सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों के सतत और समग्र विकास के मूल्यांकन हेतु विकसित एक मापन प्रणाली है।इसका उद्देश्य स्थानीय शासन की कार्यक्षमता का मूल्यांकन करना और पंचायतों को आत्ममूल्यांकन तथा सुधार हेतु प्रेरित करना है। PDI 2.0 पूर्व संस्करण पंचायत विकास सूचकांक 1.0 का परिष्कृत और अधिक समावेशी रूप है। यह सूचकांक भारत की पंचायती राज प्रणाली को सशक्त बनाने के उद्देश्य से बनाया गया है।इसकी संरचना नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के आधार पर की गई है।इसमें सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय, और प्रशासनिक पहलुओं को सम्मिलित किया गया है।

सूचकांक ग्राम पंचायतों के प्रदर्शन को आंकने के लिए विभिन्न संकेतकों का उपयोग करता है।ये संकेतक पंचायतों को रणनीतिक योजना, निष्पादन और निगरानी में मदद करते हैं सूचकांक में कुल 9 मुख्य क्षेत्र और उनसे संबंधित 60 से अधिक उप-संकेतक शामिल किए गए हैं। ये सभी क्षेत्र सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।

IMG 20250728 WA0009 जिलाधिकारी आनंद शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर पंचायत विकास सूचकांक 2.0 प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभपहला क्षेत्र गरीबी उन्मूलन (SDG 1) है जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सहायता देना शामिल है। दूसरा क्षेत्र भूखमुक्ति (SDG 2) है, जिसमें पोषण, खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्पादन शामिल है।तीसरा क्षेत्र स्वास्थ्य और कल्याण (SDG 3) को मापता है, जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता का मूल्यांकन होता है।

चौथा क्षेत्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (SDG 4) से संबंधित है, जिसमें स्कूलों की उपलब्धता, साक्षरता दर आदि शामिल हैं।पांचवां क्षेत्र लैंगिक समानता (SDG 5) है, जिसमें महिलाओं की भागीदारी, सुरक्षा और सशक्तिकरण को मापा जाता है।

छठा क्षेत्र जल एवं स्वच्छता (SDG 6) है, जिसमें स्वच्छ जल, शौचालय और स्वच्छता से जुड़े संकेतक आते हैं।

सातवां क्षेत्र स्वच्छ ऊर्जा (SDG 7) को दर्शाता है, जिसमें घरेलू ऊर्जा पहुंच और उपयोग की गुणवत्ता शामिल है।आठवां क्षेत्र उत्पादक रोजगार (SDG 8) से संबंधित है, जिसमें स्वरोजगार, मनरेगा आदि का समावेश होता है। नौवां क्षेत्र स्थानीय शासन और न्याय प्रणाली (SDG 16/17) है, जो पंचायत की कार्यक्षमता, पारदर्शिता और जवाबदेही को दर्शाता है।इसके अलावा जलवायु कार्रवाई (SDG 13) और पर्यावरणीय प्रबंधन से जुड़े संकेतक भी शामिल किए जाते हैं। सूचकांक की गणना एक मानकीकृत स्कोरिंग प्रणाली के माध्यम से की जाती है।प्रत्येक उप-संकेतक को एक विशेष भारांक दिया गया है। ग्राम पंचायतों को 0 से 100 के बीच अंक प्रदान किए जाते हैं। इन अंकों के आधार पर पंचायतों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है – उत्कृष्ट, अच्छा, मध्यम और सुधार की आवश्यकता।यह प्रणाली आत्म-मूल्यांकन को बढ़ावा देती है।पंचायतों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से डाटा फीड करना होता है।इन आंकड़ों का सत्यापन संबंधित ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर किया जाता है। इसके लिए डिजिटल डैशबोर्ड की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। पंचायतों को अपने प्रदर्शन के अनुसार योजना निर्माण में प्राथमिकताएं तय करने में मदद मिलती है।यह स्थानीय शासन को ज़िम्मेदार और पारदर्शी बनाता है।

PDI 2.0 से पंचायतों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन मिलता है।इससे ग्रामीण विकास में नवाचार, कुशल संसाधन प्रबंधन और बेहतर सेवा वितरण संभव हो पाता है। यह सूचकांक डिजिटल इंडिया मिशन और ई-गवर्नेंस को भी बढ़ावा देता है।ग्रामीण नागरिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करने पर भी बल दिया गया है। पंचायतों को वर्षवार विकास योजना बनाने में सहायता मिलती है।

PDI 2.0 पंचायत राज संस्थाओं को परिणामोन्मुखी बनाने की दिशा में अहम कदम है।इसमें जल, स्वच्छता, पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला कल्याण की समग्र निगरानी संभव होती है। यह सूचकांक पंचायती राज मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है।इसे तकनीकी सहयोग संस्थाओं जैसे NIC, UNDP और अन्य संगठनों के सहयोग से विकसित किया गया है।पंचायतों को डेटा प्रबंधन, विश्लेषण और निर्णय लेने में दक्षता मिलती है।इसका एक उद्देश्य राज्य सरकारों को नीतिगत निर्णयों के लिए साक्ष्य-आधारित रिपोर्ट देना भी है। इससे पंचायतों को वित्तीय आवंटन की प्रभावशीलता भी आंकी जा सकती है। पंचायतों को इस माध्यम से प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के लिए चिन्हित किया जा सकता है।

PDI 2.0 में सामाजिक समावेशन, विकलांगजन, अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए विशेष संकेतक शामिल किए गए हैं।जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को भी मापने के लिए संकेतक जोड़े गए हैं।

ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) की गुणवत्ता सुधार हेतु यह प्रभावी उपकरण है।

इसे ग्राम स्तर पर मिशन अंत्योदय डेटा और GPDP डेटा से जोड़ा गया है।

सूचकांक पंचायतों की पारदर्शिता और सुशासन की दिशा में मील का पत्थर है।वर्ष 2024-25 से इसे सभी राज्यों में लागू करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।

डिजिटल निगरानी और रैंकिंग प्रणाली के साथ यह ग्रामीण प्रशासन में क्रांति ला सकता है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के सभी प्रखंडों से पंचायत समिति के प्रमुखगण, प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी (BPRO) तथा कार्यपालक सहायक बड़ी संख्या में प्रशिक्षणार्थियों के रूप में सम्मिलित हुए। यह कार्यक्रम जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीण विकास को गति देने एवं पंचायतों को आत्ममूल्यांकन तथा दक्षता की दिशा में सशक्त करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।

 

इस महत्वपूर्ण अवसर पर उप विकास आयुक्त सुमन प्रसाद साह एवं अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी रूपेश रॉय की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिन्होंने प्रशिक्षण के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया।

 

प्रशिक्षण में डीपीआरसी के नोडल पदाधिकारी श्री विकास कुमार मिश्रा ने मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका निभाई। उनके साथ श्री रजनीश कुमार, श्री कमलेश कुमार, श्री नन्द लाला, श्री चंद्रदेव सागर, श्री सुरेन्द्र चौधरी, श्री गणेश साहू और श्री दीना कुमार सह-प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित थे, जिन्होंने प्रतिभागियों को पंचायत विकास सूचकांक 2.0 की अवधारणा, कार्यप्रणाली, संकेतकों और रिपोर्टिंग प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी प्रदान की।

 

कार्यक्रम का उद्देश्य पंचायतों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना, डेटा आधारित योजना निर्माण को बढ़ावा देना तथा ग्रामीण विकास में पारदर्शिता एवं सहभागिता को सुनिश्चित करना है। इस प्रशिक्षण से जिला स्तरीय अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों को विकास की नई दिशा में कार्य करने हेतु आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।