चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर ( SIR) का जारी आंकड़ा पूर्ण रूप से अविश्वसनीय :चित्तरंजन गगन
न्यूज डेस्क
पटना/ राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने चुनाव आयोग के हवाले से मीडिया में प्रकाशित विशेष पुनरीक्षण सम्बंधित आंकड़े को खारिज करते हुए इसे अविश्वसनीय और आधारहीन करार दिया है।
श्री गगन ने कहा है कि प्रकाशित आंकड़े में 65.2 लाख लोगों का नाम मतदाता सूची से कटने की बात की गई है। इस आंकड़े का आधार क्या है, इसका उल्लेख अभी तक नहीं किया गया है। जिन लोगों का फॉर्म जमा नहीं हुआ है उसमें मृत, दूसरे स्थान पर स्थानांतरण, डबल पंजीकरण और ट्रेस लेश के रूप में वर्गीकरण किस आधार पर किया गया है। इसकी प्रमाणिकता क्या है।
आंकड़े के अनुसार मतदाता सूची में लगभग 22 लाख मतदाताओं को मृत माना गया है। आश्चर्यजनक बात यह है कि जनवरी 2025 से मात्र छः महीने में हीं 22 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो गई। जबकि लोकसभा चुनाव के पूर्व 2023 में हुए संक्षिप्त पुनरीक्षण और 2024 में हुए संक्षिप्त पुनरीक्षण के बीच एक वर्ष में मात्र 4.09 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए थे जिसमें मृतकों के अलावा कुछ और नाम भी हो सकते हैं। राज्य सरकार के सांख्यिकी विभाग के डाटा के अनुसार भी 2022 में बिहार में मृतकों की कुल संख्या 4,48000 है। 2022 से 2024 के बीच तीन वर्षों में मृतकों की कुल संख्या 12, 43000 बताई गई है। अब मात्र छः महीने में हीं 22 लाख मतदाताओं के मृत्यु का आंकड़ा घोर आश्चर्यजनक है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई 2024 में हीं संक्षिप्त पुनरीक्षण का काम शुरू हो गया था जो 1 जनवरी 2025 को पुरा हुआ था। 7 जनवरी 2025 को चुनाव आयोग ने जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया गया था कि संक्षिप्त पुनरीक्षण में 12.03 लाख मतदाताओं के नाम जोड़े गए हैं और 4.09 लाख नाम हटाए गए हैं जिसमें अधिकांश वैसे मतदाता हैं जिनकी मृत्यु हो गई है। इस संक्षिप्त पुनरीक्षण के दौरान भी नियमित रूप से राजनीतिक दलों के साथ चुनाव आयोग की बैठकें होती रहती थी। संक्षिप्त पुनरीक्षण में भी वही बीएलओ और प्रशासनिक व्यवस्था लगी हुई थी जिन्हें अभी विशेष पुनरीक्षण में लगाया गया है। जनवरी 2025 में मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद भी मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने का सिलसिला जारी था जिसमें राजद सहित अन्य दलों के बीएलए स्थानीय स्तर पर बीएलओ की मदद कर रहे थे। यदि कहीं कोई गड़बड़ी थी तो भाजपा और एनडीए के बीएलए क्या कर रहे थे, उन्होंने क्यों नहीं इसका सुधार करवाया या चुनाव आयोग के सामने शिकायत क्यों नहीं की । चुनाव आयोग का पहले यह संकल्प था कि एक भी वाजिब मतदाता का नाम मतदाता सूची में नहीं छूटना चाहिए। पर आश्चर्यजनक रूप से 24 जून 2025 को चुनाव आयोग का संकल्प बदल गया ।
राजद प्रवक्ता ने कहा है कि यह एक बहुत बड़ी साजिश है। अभी दावा किया गया है कि 99.8 प्रतिशत मतदाता एस आई आर में शामिल हुए हैं , 1 अगस्त से उनका सत्यापन शुरू होगा। जिसके लिए चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचित 11 दस्तावेजों में से हीं कोई जमा करना होगा । पर जमीनी हकीकत यह है कि लगभग 45 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनके पास उन अधिसूचित 11 दस्तावेजों में एक भी उपलब्ध नहीं है। और उनका नाम मतदाता सूची से हटाकर फर्जी नाम जोड़ दिए जाएंगे। दावे और आपत्ति सब केवल खानापूर्ति और दिखावे के लिए हो रहा है। पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार 30 सितम्बर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन कर दिया जाएगा।