जयनगर में प्रस्तावित ओवरब्रिज का विरोध क्यों
मधुबनी / जैसे सुन रहे हैं कि जयनगर में कोई प्रोजेक्ट आता नहीं, मिलता नहीं और यदि कोई कार्य होने वाला है तो उसका विरोध क्यों? एक तरफ जयनगर में विकास का कोई प्रोजेक्ट नहीं मिल रहा है और यदि मिल रहा है तो उसका विरोध किया जा रहा है। सरकार और जनप्रतिनिधियों की ओर से सारा प्रोजेक्ट झंझारपुर और फुलपरास को मिल रहा है। जयनगर में कोई बड़ा और मजबूत नेता नहीं है इसका भी नुकसान जयनगर क्यों हो रहा है।
झंझारपुर के लोहना में 252 एकड़ भूमि में बिहार का पहला ग्रीन इंडस्ट्रियल एरिया बन रहा है, झंझारपुर के नरूआर में कुम्मर पोखर पर जैव विविधता पार्क बन रहा है। झंझारपुर में कमला नदी किनारे कमला व्यू पॉइंट बन रहा है, मिथिला हाट बना है। ललित-कर्पूरी स्टेडियम का आधुनिकीकरण हो रहा है, मेडिकल कॉलेज बना है, नगर पंचायत का प्रमोशन नगर परिषद में हो गया है, जोर-शोर से जिला बनाने की माँग हो रही है। झंझारपुर में सब्जी और फल मंडी बन रहा है, अनाज मंडी, एयरपोर्ट और विश्वविद्यालय की माँग हो रही है।
लेकिन जयनगर में क्या हो रहा है? जयनगर नगर पंचायत को नगर परिषद बनाने का विरोधी नगर पंचायत के जनप्रतिनिधि और अधिकारी ही है जिसने नगर पंचायत को नगर परिषद बनाने के लिए प्रस्ताव ही नहीं भेजा और विरोध किया। जयनगर को जिला होना चाहिए था 1972 में, लेकिन मधुबनी को बना दिया गया। जयनगर लोकसभा क्षेत्र था, जिसका पहचान छीन लिया गया, विधानसभा क्षेत्र तक का नाम जयनगर नहीं रहा। एक बैराज बन रहा है तो वह तो मजबूरी का प्रोजेक्ट है और नदी होने के कारण उसपर पुल बनना ही है। एक ओवरब्रिज मिल रहा है तो उसका भी विरोध किया जा रहा है। जयनगर को जिला का दर्जा देने की माँग नहीं हो रही है।