ई-ग्राम कचहरी से बढ़ी न्यायिक पारदर्शिता, हजारों मामलों का हुआ निपटारा।। 2.पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग और जीविका के बीच हुआ समझौता
पटना/बिहार सरकार ने ग्रामीण जनता को त्वरित न्याय दिलाने और कोर्ट-कचहरी के चक्कर से बचाने के लिए ई-ग्राम कचहरी प्रणाली की शुरुआत की है। सुलभ न्याय दिलाने के उदेश्य से न सिर्फ प्रदेश के गांवों में न्यायिक प्रक्रियाओं को सरल एवं प्रभावी बना रही है। बल्कि, ई-गवर्नेंस के माध्यम से नागरिकों को सरकारी सेवाएं उपलब्ध कराने में एक मिसाल भी कायम कर रही है।
अब तक 22 हजार 684 मामले दर्ज
राज्य में अब तक कुल 22 हजार 684 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। ऑनलाइन मामलों के पंजीकरण की सुविधा के साथ बिहार देश का पहला राज्य बन गया है, जहां इस तरह की व्यवस्था लागू की गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 24 अक्टूबर 2024 को इस अत्याधुनिक न्याय प्रणाली का शुभारंभ किया था, जो अब गांवों में प्रभावी रूप से कार्य कर रही है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के 38 जिलों में अब तक कुल 22 हजार 684 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें दीवानी और फौजदारी दोनों प्रकार के मामले शामिल हैं। इनमें से 11 हजार 941 दीवानी और 10 हजार 743 फौजदारी मामले हैं। सरकार की तत्परता और सुधारवादी नीतियों के चलते अब तक 5 हजार 353 मामलों का सफल निपटारा किया जा चुका है।
पूर्वी चंपारण में न्यायिक प्रक्रिया सक्रिय
राज्य में दर्ज मामलों की संख्या के आधार पर पूर्वी चंपारण अग्रणी है। इस जिले की 396 ग्राम पंचायतों में कुल 1,427 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 497 दीवानी और 930 फौजदारी मामले शामिल हैं। न्याय वितरण प्रणाली की सक्रियता के कारण अब तक 157 दीवानी और 334 फौजदारी मामलों का सफल समाधान किया जा चुका है।
मुजफ्फरपुर और औरंगाबाद में सकारात्मक प्रगति
मुजफ्फरपुर जिले में 1,337 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें 591 दीवानी और 746 फौजदारी मामले शामिल हैं। यहां पंचायत स्तर पर न्यायिक प्रक्रिया को और मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे मामलों के समाधान की गति और तेज होगी। वहीं, औरंगाबाद जिले में कुल 1,278 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से 971 दीवानी और 307 फौजदारी मामलों का निपटारा किया गया है।
इन जिलों में मामलों की संख्या सबसे कम
शेखपुरा, शिवहर और अरवल ऐसे जिले हैं, जहां मामलों की संख्या सबसे कम पायी गई। शेखपुरा में कुल 95, शिवहर में 111 और अरवल में 137 मामले दर्ज हुए हैं। यह प्रशासनिक कुशलता और सुशासन की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
ई-ग्राम कचहरी प्रणाली से न्याय प्रक्रिया में सुधार
राज्य में कुल दर्ज 22 हजार 684 मामलों में से 2,503 दीवानी और 2,850 फौजदारी मामलों का निपटारा किया गया है। ये आंकड़े बताते हैं कि सरकार के डिजिटल न्यायिक सुधारों और पंचायत स्तर पर प्रशासनिक प्रयासों का सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
मंगलवार और शुक्रवार को ग्राम कचहरी आयोजित
बिहार सरकार की ओर से न्यायिक प्रक्रिया में अधिक तेजी लाने के लिए प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को ग्राम पंचायत में ग्राम कचहरी का आयोजन किया जाता है। साथ ही ग्राम कचहरी सचिव और न्याय मित्र की बहाली भी शुरू हो चुकी है। सरकार डिजिटल प्रणाली के व्यापक उपयोग, पंचायत स्तर पर न्यायिक तंत्र को मजबूत करने और विवाद निपटान प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।
इन सुधारों से आम जनता को त्वरित और पारदर्शी न्याय मिलने में आसानी होगी और राज्य में सुशासन की दिशा में एक और मजबूत कदम बढ़ाया जा सकेगा। बिहार सरकार की यह पहल ग्रामीण स्तर पर न्याय को अधिक प्रभावी और सुलभ बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो रही है।
2.पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग और जीविका के बीच हुआ समझौता
पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग और जीविका के बीच गुरुवार को एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किया गया है। यह समझौता विभाग द्वारा संचालित कुल 39 अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस-2 उच्च विद्यालयों में छात्राओं के कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है। समझौते पर हस्ताक्षर पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की ओर से अपर सचिव अनिल कुमार ठाकुर और जीविका के निदेशक (उद्यम) विनय कुमार राय द्वारा किया गया। पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव मनोज कुमार और जीविका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हिमांशु शर्मा इस मौके पर उपस्थित रहे।
समझौता ज्ञापन के मुख्य बिंदुओं में जीविका द्वारा “जीविका दीदी की रसोई” के माध्यम से सभी 39 कन्या आवासीय प्लस-2 विद्यालयों में रहने वाली छात्राओं को भोजन की सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त स्वच्छता और कपड़े धोने की सेवाएं भी जीविका द्वारा ही प्रदान की जाएगी। विभाग द्वारा संचालित सभी 39 विद्यालयों में छात्राओं को पोषाक की आपूर्ति भी जीविका द्वारा की जाएगी। यह समझौता ज्ञापन तीन वर्षों के लिए वैध होगा। जिसे सेवा संतोषजनक पाए जाने पर अगले तीन वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है। यह समझौता वित्तीय वर्ष 2025-26 से विभाग द्वारा संचालित सभी 39 विद्यालयों में लागू होगा।
छात्राओं के लिए इस समझौते से गुणवत्तापूर्ण और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। यहां छात्राओं को स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण मिलेगा। साथ ही उन्हें स्वच्छ और धुले हुए कपड़े भी उपलब्ध होंगे। समय पर पोषाक की उपलब्धता से छात्राओं के शैक्षणिक विकास के लिए एक बढ़िया वातावरण बनेगा। विभाग की ओर से छात्राओं के कल्याण में सुधार होगा और जीविका की सेवाओं के प्रबंधन में भी दक्षता आएगी। साथ ही इस प्रयास से पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण विभाग द्वारा संचालित होने वाले स्कूलों की छवि में भी सुधार आएगी। इसके अलावा जीविका के माध्यम ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। जिससे महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा, जो राज्य में सामाजिक विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगा।