राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो.सुबोध कुमार मेहता का युवाओं के नाम एक खुला पत्र ।। 2.महागठबंधन सरकार ने नियोजन कैंप और नियोजन मेला के माध्यम से 60 हजार नौजवानों को विभिन्न कंपनियों में समायोजित कराया: सुरेंद्र राम
पटना /हमारे देश में एक बहुत प्रचलित कथा सदियों से सुनी सुनाई जाती है । उसका नाम ‘रंगा सियार’ है । वह सियार अपनी असलियत छुपाने के लिए अपने ऊपर रंग डालता है जो उसे अन्य पशुओं से भी अधिक सच्चा और खरा लगता है । वह धोखा देकर जीने लगता है लेकिन तभी एक दिन बरसात का मौसम आता है और उसके कारण उसका वह नकली रंग धुल कर बह जाता है और उसकी सच्चाई सबके सामने आ जाती है ।
अब समाजवादी राजनीति में भी जब असली चुनावी बरसात आयी है तो नकली समाजवादी रंग धुल कर अब बह रहा है । इससे हुआ यह कि उपेंद्र जी का नकली समाजवादी रंग उतर गया है और उसके अंदर का साम्प्रदायिक,संघी,धोखेबाजी वाला पुष्यमित्रवादी रंग अब सबके सामने स्पष्ट हो गया है।
सन 2004 में उपेंद्र कुशवाहा जी को बिहार विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष नीतीश कुमार जी ने बनाया । लेकिन इसके अगले फरवरी 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में उन्हें रामलखन महतो से करारी हार मिली और वे तीसरे स्थान पर चले गए वहीं नवम्बर 2005 के चुनाव में भी तीसरे स्थान पर रहे क्योंकि उनकी मानसिकता जीतने की नहीं बल्कि विखंडनकारी की थी । इसी का परिणाम था कि उन्होनें पूर्व मंत्री स्वर्गीय तुलसीदास मेहता और आलोक कुमार मेहता की छवि धूमिल करने के लिए षड्यंत्र रचा और आलोक जी के उनके अपने छोटे भाई को चुनाव में खड़ा कर दिया।जब रामलखन महतो जदयू में आ गए तब उपेंद्र कुशवाहा जी 2006 में जदयू छोड़ दिया और तब एनसीपी का दामन थाम लिया और बाद में नई पारी की घोषणा की। उसके बाद 26 नवम्बर 2009 को वे फिर जदयू में शामिल हुए और नीतीश कुमार जी ने उनको राज्यसभा भेज दिया। 2012 में इन्होनें राज्यसभा से त्यागपत्र दिया और नीतीश कुमार को भला बुरा कहते हुए गावँ गावँ जाकर प्रदेश की जनता से माफी मांगा और शपथ ली कि अब नीतीश कुमार के साथ जीवन में कभी आगे नहीं जाएंगे और नई पार्टी की घोषणा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नाम से किया। 2014 के आम चुनाव में वे एनडीए के गठबंधन में शामिल हुए और केंद्र सरकार में मंत्री बने । 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में रालोसपा को 23 सीटें मिली जिसमें से लगभग एक दर्जन इन्होंने ऐसे प्रत्याशी दिए जो चुनाव से पहले कभी रालोसपा के सदस्य भी नहीं थे। 10 दिसम्बर 2018 को इन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया और एनडीए को छोड़ दिया । 2019 के आम चुनाव में महागठबंधन ने इनको 5 सीटें दीं जिनमें से 4 सामान्य और एक आरक्षित थीं जिसमें से 2 पर वे खुद प्रत्याशी बने और 2 प्रत्याशी ऐसे दिए जो कभी रालोसपा के सदस्य भी नहीं थे । 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के पहले इन्होनें इल्जाम लगाना शुरू कर दिया कि महागठबंधन कम सीटें दे रही है ।तब पार्टी के वरिष्ठ साथियों ने महागठबंधन में रहने की बात की ताकि कुछ महत्वपूर्ण साथी विधानसभा में जीत कर पहुँचे ।लेकिन उपेंद्र जी ने एक अलग ही रास्ता अपनाया और महागठबंधन को छोड़ एक नया फ्रंट बनाया और सामाजिक क्रांति के मूल्यों के साथ खिलवाड़ कर उसे गहरा आघात पहुँचाया जिसका शर्मनाक नतीजा यह हुआ कि पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई। बिहार विधानसभा के चुनावों के तीन महीने के बाद ही उपेंद्र जी के कथनानुसार उन्होंने रालोसपा का विलय जदयू में कर दिया। नीतीश कुमार जी ने उन्हें तीन पद दिए, पहला एमएलसी,दूसरा संसदीय बोर्ड की अध्यक्षता और तीसरा एक प्रादेशिक बोर्ड की सदस्यता ।क्या इस समय उपेन्द्रजी की मति मारी गयी थी जो आज उन्हें समाजवाद के मूल्य याद आ रहे हैं। पिछले लगभग दो दशकों की राजनीति का अवलोकन किया जाए तो पता चलता है कि इन्होंने केवल अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की राजनीति करते हुए अनगिनत युवाओं के सपनों को कुचल दिया । इन्हें इसका मूल्यांकन करना चाहिए ।
आज फिर जब चुनाव दस्तक देने लगे हैं तो उपेंद्र जी फिर से समाजवाद का नकली रंग चढ़ा कर नई पार्टी लेकर तैयार हैं । निश्चित ही वे फिर से उन युवाओं को धोखा देकर तोड़ने का नया षडयंत्र रच रहे हैं जो बड़ी मेहनत और लगन से राजनीति को जीवन समर्पित कर आगे आते हैं ।
1.महागठबंधन सरकार ने नियोजन कैंप और नियोजन मेला के माध्यम से 60 हजार नौजवानों को विभिन्न कंपनियों में समायोजित कराया: सुरेंद्र राम
बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के राज्य कार्यालय में उपमुख्यमंत्री श्री तेजस्वी प्रसाद यादव के विचारोंनुरूप श्रम संसाधन मंत्री श्री सुरेंद्र राम ने सुनवाई करते हुए प्राप्त प्रतिवेदन के आलोक में संबंधित विभाग एवं विभिन्न जिला के पदाधिकारियों को कार्रवाई हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिया।
इस अवसर पर श्रम संसाधन मंत्री श्री सुरेंद्र राम ने कहा कि महागठबंधन सरकार श्रम विभाग के माध्यम से ‘‘श्रमिक के द्वार’’ कार्यक्रम के तहत पूरे राज्य भर में पंचायत स्तर पर विशेष अभियान और कैंप लगाकर श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन करवा रही है। जिसमें एक्सीडेंट, सामान्य मृत्यु, विवाह योजना, बच्चियों के शिक्षा के लिए योजना के साथ-साथ जो 16 तरह के पात्र श्रमिक विभाग ने चिन्हित किए हैं, उसमें आवेदन देकर आवेदक इन 16 योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं।
सुरेन्द्र राम ने आगे कहा नियोजन मेला और नियोजन कैंप के माध्यम से 60 हजार से अधिक नौजवानों को विभिन्न कंपनियों में समायोजित किया गया है, जो रोजगार वाली सरकार का मजबूत संकल्प है। साथ ही आईटीआई ट्रेनिंग करने वालों को गुणवत्तापूर्ण ट्रेनिंग दिया जाए इसके लिए सरकार गंभीर है, और इस दिशा में लगातार कार्रवाई की जा रही है।
इन्होंने आगे कहा कि बिहार में माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री श्री तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में महागठबंधन सरकार श्रमिकों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के प्रति पूरी सक्रियता के साथ कार्य कर रही है, और इसके लिए श्रम विभाग पूरी तरह से सजग है।
प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने बताया कि आज करीब 75 लोगों ने अपनी समस्याओं से संबंधित प्रतिवेदन मंत्री जी के समक्ष रखा जिसमें अपराधिक घटनाओं, जमीन संबंधी विवाद और श्रम विभाग से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए माननीय मंत्री ने कार्रवाई के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश संबंधित विभाग और जिला के अधिकारियों को दिये।
इस अवसर पर प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद, महासचिव संजय यादव, निर्भय कुमार अंबेडकर सहित मो0 अफरोज आलम एवं फुदेना रविदास ने सुनवाई कार्यक्रम में सहयोग किया।